Friday 12 October 2012

इम्तेहान


                                         

हर वक्त पुकारा किए तुम्हे जाने-अनजाने सनम
पास बुलाकर देख लिया अब दूर जाकर देखते है
हरबात दिलकी जुबा पर लाये तुम्हे सुनाया किये
बहोत कहे लिया हाले दिल अब चुप रहेकर देखते है
आखोमे जलाकर उम्मीदकी शम्मे राह हम देखा किये
इंतजार हमने किया बहोत अब खुद जाकर देखते है
जो हम बता नहीं पाए  दुरी वो एहसास दिला जाये    
शायद असर होगा तुमपर येभी आजमाकर देखते है..
जलाकर अपनी हस्ती को शायद ये दिया रोशन हो
इम्तेहान इश्क का इस तराह भी देकर देखते है

By Deepa Sevak.

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