Friday 12 October 2012

नाहो जिसकी कोई मंजिल उन गलियोमें जाने की रजा ना दो


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नाहो जिसकी कोई मंजिल उन गलियोमें जाने की रजा ना दो
चुभे जो आखोमे उसे ना देखो,ऐसे ख्वाबोकी मुझे सजा ना दो
आगाज़ हो चूका है दिल-ए-बरबादिका मुहोब्बत की राहोमे
अपने रकिबको अब इस अंजामे-मुहोब्बतका वास्ता ना दो
फाड़ दो उन किताबो को जिनमे लिखकर भेजते थे हाले-दिल
दर्द अपना सुनाकर उसको खुद के मजाक की वजाह ना दो 
इश्कमें नामे- वफ़ा का मतलब ही नहीं मालूम जिनको
ऐसे महेबुब के कदमोमे जाकर अपनी वफ़ा ना दो
ऐसे टूट जाऊ के संभल ही न पाउ में कभी सितम यु ना करो
मौत से बदतर जो बने ऐसी जिन्दगी की  मुझे दुआ ना दो
By Deepa Sevak.

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