Thursday 24 January 2013

यादे..दिल की बाते

अपनी तन्हाई का सबब तुम्हे तो नहीं मानते हम
ये बात और है जब तुम साथ नहीं होते तनहा हो जाते है..

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देखकर मुझे अकेला ये न समज में तनहा हु
जाककर देख गहेराई में अपने आप में सारा जहा हु ..

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चुराकर आख हमसे भागना आसन हो गया उनका
जब उनके एक फैसलेसे हम होश अपना खो बैठे...

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दुनिया खेल मदारी का, डमरू खुदा बजता है
परदा गिरने से डरना क्या, हर शख्श पहेलेसे लिखे किरदार निभाता है..

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बीते हुए लम्होमे न खुदको बांध के रखो साथी
जिन्दगी मुठ्ठीमें बंध रेत है जो चुपके से सरक जाती..

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भटकोगे जो राहसे तो मंजिल कैसे पाओगे ?
मोती ढूढोगे रेतमे तो ढूढते रहे जाओगे...

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इतनाही डर था सच्चाई से तो आइना खुद को दिखाया क्यों?
भरोसा नहीं था खुदाई पे तो फिर पत्थर को खुदा बनाया क्यों ?...

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अपना तो ये फलसफा है दोस्त...
आखोमे जो बसे हो उनके दिल कभी हम दुखाया नहीं करते
और जो एकबार आंखोसे उतर जाये उनके लिए फिर दिल दुखाया नहीं करते...

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 लगता है उन्हें हमें वो भुला गये आसानी से
अपने दिल को वो समजा रहे है बेईमानी से
पर आज भी किसी की जुबा पर मेरा नाम सुनकर
उनकी आखोमे उदासी छा जाती है
फिर हाल अपना छुपा पाते है बड़ी परेशानी से...
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तेरे दामन तक सिमटी है मेरी दुनिया
जब तू ओढती है सर पर संवर जाती है
जब तू छोडती है ढीला निखर जाती है
और जब पोछती है आसु बिखर जाती है
बस तेरे आंसू की बारिशमें भीग जाती है मेरी दुनिया ..

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जब तुमसे मिले नहीं थे जमीं पर चल रहे थे
तुमसे मिलने के बाद ख्वाब आसमान छु रहे थे
हकिकतमे नशा मुहोब्बत का उतरा तो देखा
आखो के सामने जमी आसमा दोनों जल रहे थे...

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अदाकारी ये हमने सीखी है तुम से ए दोस्त
दिल में गम छुपाकर होठो को कैसे फैलाते है...

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तेरी आंखोके किये हर सवाल का जवाब था हमारे पास
पर तेरे ख्वाबो को तोड़ने से डरते थे इसलिये खामोश रहे...

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आज जिन्हें गिला है इंतजार से वो भी तो जरा चखले मजा इंतजार का
पता उन्हें भी तो चले वक्त कितना मुश्किल से गुजरता है इंतजार का

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वैसे तो आसमा हाथ बढ़ाकर छु सके इतना नजदीक था
पर उसुलोसे हाथ छुड़ाकर आसमा पाना हमें मंजूर न हुआ
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सुनी सुनी सी जिंदगी महेकती है
जब यादो के फुल की खुशबू बिखरती है
रोशन होता है दिल का कोना कोना
उदासीके अंधेरेमे जब ये रोशनी जलती है...
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उससे मिले ज़ख़्म के दर्द की ऐसी आदत हो गयी है दिलको
के अब वो ना दे ज़ख्म तो आप ही पुराने जखम खुतर के हरे करते है
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हम अगर चाहे भी तो तुजसे जुड़े एहसास नही बदल सकते
प्यार को कोई और नाम भले ही देदो जज्बात नहीं बदल सकते...
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कैसे करू ये ...अपनी तक़दीर का लिखा मिटा सकू ऐसी कोई तरकीब मेरे पास नहीं
वरना अपनी हाथोकी सारी लकीरों को तेरे नाम कर देती पर अफ़सोस ये हुनर मेरे हाथ नहीं ...
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सोचना तुम्हे तनहाईमें अब मेरी आदत बन गयी है
तुमसे प्यार ही अब मेरे लिए इबादत बन गयी है ..
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तेरे दिये हर तोहफेसे बेइंतेहा प्यार किया है हमने
इसलिये आज तक तेरे गमको गले से लगा के रखा है...
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दूरिया शहेरो की है मंजूर मुझे गर नजदीकिया दिल से है तेरी
पर दिल से दिल की दूरिया सहे नहीं पायेगी ये धड़कन मेरी...
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घृणा के घाव से जो लहू टपकता है उससे नफरत पलती है
प्यार के घाव से जो दर्द मिलता है उससे भी राहत मिलती है
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जब से अंधेरो से दोस्ती की है हमने तनहाई भी साथ देने को मचल रही है
अब रौशनी की ख्वाहिश नहीं दिलको,दिलमे यादोकी मीठी लौ जल रही है ..
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क्या जवाब दू उसे.. छिनकर नींदे मेरी मुझसे पुछता है सनम मेरा
क्यों है आँखे लाल तेरी तुजे नींद न आने की बीमारी तो नहीं ..
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इसी वजह से मैखाने के मालिक से दोस्ती करली
के अगर रातदिन बैठे रहे वही तो न निकाले मुजको
नशेमे रातदिन रहेना चाहता है आशिकमिजाज दिल
तू जो आँखों से पिलाती है उस शराब की आदत हुई है मुजको
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कैसे रहे नाराज... नाराजगी तुमसे हमें भी कहा सुकून देती है
दर्द हद से ज्यादा देते हो तो बस दिल से आह निकलती है
और तुम समजते हो हम नाराज है...
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जबभी अपने आंसू का आइना देखती हु
मुज से रूठा हुआ तेरा चहेरा देखती हु ...
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सजदा करता हु तुजे के मै तुम से प्यार करता हु
और तू समजती है मुलाजिम हु जुक कर सलाम करता हु...
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मुज से बेवफाई की वजाह जानने की बजाय
खुद से पूछ ले एक बार वफाने तेरा साथ क्यों छोड़ा ?
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बिछड़कर तुम से दिलमे दर्द का सैलाब उठा तेरे लिए भी मेरे लिए भी
न कर गम ऐ दोस्त वक्त ही बनेगा मरहम तेरे लिए भी मेरे लिए भी
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मेरे आने की खबर से जिसकी नजरे दरवाजे पे गडी रहेती थी
आज में आ न जाऊ उस दहेशत से बाहर से ताला लगा के घरमे पड़ी रहेती है ...
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अपनी मर्जी से कोई बांध नहीं सकता तक़दीर को
जिसे खुदाने बांधी है तोड़े हम कैसे उस जंजीर को ...
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एक शख्शने इतनी रोशनी भर दी आखोमे
अब मेरी आँखों को कुछभी नजर नहीं आता
वो तो चला गया ख्वाबो का शहर बसाके आंखोमे
अब आँखों को हकीकत का मंजर फूटी आँख नहीं भाता ...
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धीरे से पर मजबूत कदम से चलना आदत है मेरी
तू शक कभी न करना मेरे होसलो पर
सीखा है जमी से जुड़े रहेना मैंने पर नजर आसमान पर है मेरी...
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रूठने की नहीं आदत मुझे जरा जरा सी बात पर
पर मुझे सुनकर भी तेरा पलट जाना ये तो जरा सी बात नहीं
यु तो हम कभी भी न बुलाते तुम्हे बिना बात के
बात कुछ जरुरी ही होगी के हमने रोके अपने जजबात नहीं
एसा नहीं है के तुम्हारी मजबुरियो का हमें अहेसास नहीं
चलो अब मान ही लेते है हमारी एक पुकार पर आनेवाले हालत नहीं
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अदा तेरे रूठने की पसंद है
इस लिए तो तुम्हे बार बार चिढाते है ..
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जब रूठता है तू गुस्से से मुह लाल तेरा होता है
तेरा वो हाल देख हँसी फूटती है मेरी और बुरा हाल तेरा होता है
पर तुजे मनाना जानती हु के तुजसे मेरा हर तार जुड़ा होता है
जेसी भी हु तुम्हारी हु कान पकड़ कहेती हु,फिर सब्र तुज से यार कहा होता है
जोर से अपनी तरफ खींचता है तू मुझे और तेरे होठो की लाली से श्रींगार मेरा होता है
तेरी आंखोमे उमड़ती है शरारत और फिर शर्म से तुजसे भी बुरा हाल मेरा होता है
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इतना प्यार हो गया है दर्द से के रोज दर्द् पानेका नया तरीका ढूंढते है
न मिले नए तो सूखे हुए ज़ख्मो को कुरेदने का नया सलीका ढूंढते है 
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कोई अजनबी भला ज़ख़्म कहा देता है
आंसू वही देता है जो दिल में रहेता है ...
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प्यार और आंसु का सदीओ पुराना रिश्ता है
जो प्यार करके आंसू से बच जाये वो फ़रिश्ता है
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हो सकता है जिसे तुम बेवफाई समजते हो वो वफा का दूसरा तरीका हो
दामन को तेरे दाग से बचाने के लिए सनमने इल्जाम अपने सर पर ओढा हो
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आज कुछ लिखते लिखते मेरी आँखे भर आई
कागज ने पूछा कलम से ये बाढ़ कहा से आई
कलम बोली तू इतने पानी से डर गया पागल
में तो बरसो से उसके इस दर्द को सहेति आई ...
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मेरे दिल का हाल सुनकर समजना मुश्किल है
ये वो किताब है जो खुद पढ़कर समजनी पड़ती है ...
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में मुहोब्बत हु में एक प्यारा सा जज्बात हु
दिल की पनाहोंमें जो रहेते उनके लिए में खास हु
ना में किसीकी आस हु न में किसीकी प्यास हु
मन से महेसुस करो में एक खुबसूरत एहसास हु
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भले ही आपकी तस्वीर आप सी दिखती है
पर दिल के हाल भला तस्वीर कहा सुनती है
देख कर उसको आँखों को थोड़ी राहत मिलती है
पर उससे मिलन की प्यास कहा बुजती है
पर एक तरह से आप से आप की तस्वीर अच्छी है ...
जब तक न चाहू मेरे सामने से नहीं हठती है
फिर भी दिल को दीदार की प्यास रहेती है
भले ही आपकी तस्वीर आप सी दिखती है
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हमने अपनी मर्जी से भरी महेफिलमे छलकते जाम हाथ से गिराये है
और पिने पिलाने की बात अभी न कर सितमगर अभी तो होशमे आये है...

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मालूम है प्यास नहीं बुजने वाली फिर भी कुछ उम्मीद से आँसू पी लेते है
बहेलाने को जी अपना तुम्हारे नाम से जोड़कर नाम अपना थोडा जी लेते है ...

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तेरे छुने से सुलग उठी बुजी बुजी सी हसरते
अब भड़क उठी है सीनेमे अंगार सी हसरते...

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आईने सा साफ रखा है दिल अपना हमने
इसीलिए मेरी बातोमे लोगो को अपना अक्स दिखाई देता है..

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अपनी ख़ुशी से तेरे गम कभी नहीं चाहे हमने
दिल से तेरी आंखोमे कभी अश्क नहीं चाहे हमने...

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जिसको याद करके आंसू ही आते हो उन्हें याद न किया करो
जो बहा ले जाये गम के सहेरामें उन लम्हों से निजात पाया करो...

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यादो से निजात पाना मुश्किल है मालूम है हमको
तो फिर उन यादो को प्यार से हसके गले लगाया करो

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जब तुमसे प्यार किया पाने की शर्त कहा रखी थी
हमने दिलमे सिर्फ तेरे प्यार की लौ जला रखी थी ...

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दूर ही से सही पर मुझे तेरी एक ज़लक तो दिख जाती है
रूह को सुकून के लिए तेरे होने का अहेसास ही काफी है ...

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अपनी जिंदगी समजकर जिसको हरदम चाहा हमने
उसने देख हमको कहा कोन हो तुम ?नहीं पहेचाना हमने..

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अब शिकायत भी करे तो किस हक़ से करे तुम से
तुमने तो कहे दिया है मेरा कोई वास्ता नहीं तुमसे...

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मेरे खयालो की दुनिया रोशन रहेने लगी तबसे
दिलो दिमाग पर तेरी यादोने डेरा डाला है जबसे...

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देने को तुजको अब कुछ नहीं है पास मेरे
वक्तने छीन लिए मुझसे सारे एहसास मेरे ....

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एक अजब सी कशिश है हरजाई तेरे खयालोमें
चुभते है दिलमे कांटे फिरभी फूलो सी महेक आती है
चाहे जितना छुड़ाना चाहु दामन तेरे खयालो से
जब तन्हा होती हु सताने को तेरी याद चली आती है ...

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हो गये बिलकुल तनहा तुम्हारे जाने के बाद
पहेले कभी कभी खुदके साथ तो रहेते थे ...

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इतना भी दिल को न उछाल के फिर दिल जिद पर अड़ जाये
इतनी भी उम्मीदे न कर मुजसे के फिर मायूसी गले पड़ जाये...

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आज टूटकर बरसी है आँखे मेरी बेवजह
शायद तेरे दिलमे उदासी का सैलाब आया है ...

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सुकून इस बात का है के मुज से मुहोब्बत ना सही तुम्हे नफरत तो नहीं
लाखो की चाहत मिलती है पर मेरे दिलमे जगह किसी की तुम सी नहीं...

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गैरो के किये वार ज़ख्म कहा देते है
वो अपने है जो रूह तक हिला देते है ...

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इस कदर समाये हो मुजमे मेरी रुहमे प्रीतम
आइना भी देखती हु तो तुम ही नजर आते हो...

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यादो के सहारे जीने की आदत सी हो गई है
चाहना तुम्हे मेरे लिए इबादत ही हो गई है...

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कोई कैसे जाने दिल पर पथ्थर रखकर मैंने छुपाया है गम मेरा
के मुझे पथ्थर कहेकर रुसवाईया आज भी करता है सनम मेरा...

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महेसुस उसे भी होगा गम जिसके लिए ये आँखे बरसती है
बंध हो आँखे पर आवाज तो आती है जब बिजली कड़कती है...

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अक्स अपना देखके इतरा रही हु, आइना देख के शरमा रही हु
ये तेरी नजर का जादू है के खुद को ही आज बिलकुल नई नजर आ रही हु ...

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महेरबानी किस्मत की कहा भगवन की आशीष से ज्यादा होगी
जिन्दगी जरुर होगी जन्नत अगर साथ अपनों की दुआ होगी ..

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कभी कहेते थे जो मोती ना गिराया करो आंखोसे ये हम सहे नहीं सकते
अब आँखोंसे बाढ़ भी बहेती है तो कहेते है बेकार के जजबातों में हम बहे नहीं सकते ..

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रुक जाना मेरे बस में होता तो रुक जाती तेरे कहेने से
जी नहीं भरता पर वक्त को कौन रोक सका है बहेने से ....

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बेवफाई का पहेला सबक तुम से ही सिखा है हमने
सिखा है छुपाकर राज़ दिलमे मिलने का तरीका हमने...
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इंतेजार का दिया बुजाना आसन नहीं था इसलिए
कटोरी बेपरवाही की ढककर उसपर लौ दिलमे जलाये रखी...
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में भूल चुकी हु तुमको तो अब भी मेरी आंखोमे तू क्यों दिखता है?
पता नहीं मेरी आंखोमे देखकर हर कोई तेरी खबर क्यों पूछता है ?...

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तेरी यादो के आईने घरमे चारोतरफ लगे है
जहा नजर जाती है तू ही तू दिखाई देता है..

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बदलता है इसलिए तो उसे वक्त कहेता है लोग
वर्ना उसकी जगह मेरी मिसाल दिया करते लोग...

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तूने प्यार सौदा समजके ही किया होता तो अच्छा होता
मुनाफे के लिए ही सही तेरा प्यार थोडा तो सच्चा होता ...

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एक बार जरा रोक के तो देखो में रुक जाउंगी
में वक्त सी मजबूर नहीं हु के ना ठहर पाऊँगी...

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तेरे करीब होने से खुशबुसे भर जाती हु में
खुदको ही आज बदली बदली सी नजर आती हु मे
न जाने ये कैसा जादू है तेरी नजर में
तू एक नजर देखता है निखर जाती हु में ..

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आज कल तुम्हे भूलने के बहाने से याद करती हु
कोई मेरी खबर पूछता है में तम्हे भूलने की बात करती हु...

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आकर मिलो तुम किसी भी बहाने से
प्यार ऐसे नही छुपता नजर चुराने से..

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अब वापस मुड़ना मुमकिन नहीं हमारा जिस रस्ते पर हम चल पड़े
साथ चलोगे तो सुहाना रहेगा सफर वरना हिलाओ हाथ वही पर खड़े खड़े..

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मांगकर मुजी को मुझसे वो समजते है जैसे कोई अहेसान करते है
हम सोपते है उन्हें खुद को जैसे उनका हक़ है जिसे हम अदा करते है..

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अपने दिल पर रखकर हाथ उसे भी तो पूछ ले एकबार
तू तो चाहता है भूलना हमें क्या वो भी है भूलने को तैयार?

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अहेसास है तेरे दर्द का इसलिए तो तुम से अपना गम छुपाते है
जब भी तुम सामने आते हो दिल रोता है पर हम मुस्कुराते है..

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ऐसे वेसे तुफानो से हम गभराते नहीं पर तेरी नजर से बच नहीं पाते है
जिस तरह से तू देखता है हमें दिलमे उठते तुफान से संभल नहीं पाते है ..

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यादोमे अश्क बहाने से भी दिल चैन कहा पाता है
ये वो सावन है जो दिलमे और आग लगाता है ...

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मेरे अश्को की चांदनीमें नहाकर और उजले लगते है
तेरी यादोंके उजाले हर अंधेरी रात को रोशन करते है..

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मुझसे मेरी तनहाई अकसर सवाल करती है
भरी महेफिलमे भी तू क्यों मुझे याद करती है?..

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शिकायते मांगती है मोत मुझसे जिसे मैंने दिल से लगाके रखी है
कहेती है मरने भी दो अब हमको जिन्दगी क्यों उलज़ाके रखी है?..

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पहेले तू प्यारसे देखता था तो ख़ुशी से आँख भर आती थी
अब आँख भर आती है जब तेरी आंखोमे बेरुखी नजर आती है...

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ढूंढ़ने जब निकलते है दिल का सुकून,ज्यादा बेचैनी मिलती है
जबसे बेचैनी को सुकून समजा है दिलको थोड़ी राहत मिलती है...

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चाहते है हमें पर कभी अपने अहेसास नहीं पढ़ सके
वो क्या समजेंगे हमें जो खुद को नहीं समज सके....

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शर्म से जुक गई पलके तो वो समजे नजर चुरा रहे है
मुड कर फिर न देखा हमें और खफा होकर वो जा रहे है ...

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पूछकर मुझसे मेरी परेशानी और न बढ़ा
में खफा क्यों हु अपने आप से पुछ ले जरा ...

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समज लेना दिल की बात बिना कहे, जुबा से बया करना मुश्किल है
कहा काबुमे रहेता है तुजे देखने के बाद, उसका संभालना मुश्किल है ...

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समज सके तो समज ले बोलते नैनो की ख़ामोशी जरा
अपनी धडकनों के हालसे पूछ ले मेरी धडकनों का पता...

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यु तो रूठने की नहीं आदत हमको पर
जब दिल दुखता है आँसू निकल ही आते है

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अब रातो की तन्हाईआ सहेने की ताकत नहीं मुजमे
अपनी यादो से कहे दे युही रातो को जगाया न करे ...

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सावन यु आया है ज़ुम के, के गुलशनमें हर कली नाचने लगी
देख कर ये हंसी मोसम बिरहन के सीनेमे आग जलने लगी ...

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अपनी तनहाई से कोई गिला नहीं है हमको
गिला तेरी यादो से है जो कभी तनहा होने नहीं देती ...

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अब मुजमे कहा कुछ बाकी बचा है तेरे जाने के बाद
लाश कौन रखेगा घरमे जान निकल जाने के बाद ..
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भुला दिया खुद को याद सिर्फ तुम्हे रखा मैंने
यु धोखा दे मोत को खुद को जिंदा रखा मैंने ...
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तेरे जाने के बाद तनहाई से ही मुहोब्बत हो गई
मेरे इस टूटे दिल को तन्हा रहेंने आदत हो गई...
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दुआ तुजे पाने की कभी नहीं की हमने
पता है मेरा तुम्हारा अलग रास्ता है
तू हरदम खुश रहे,चाहे अलग रहे या साथ रहे
हमे तो बस तेरी ख़ुशी से वास्ता है ...
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तुम पुछते हो हमें मुहोब्बत क्यों है तुमसे
हम कहेते है जीने की कुछ तो वजह चाहिए
तुम पूछते हो बिना देखे-मिले हुई कैसे चाहत तुमसे
हम कहेते है खुदा को भी कहा देखा हमने फिर भी
इबादत तो रोज करते करते है ..वो सुने ना सुने
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जिंदगी तो जा ही रही थी हम से रूठकर
रुक गई आप के कदमो की आहट सुनकर ..
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हमने हर शाम के दामनमें तेरा ही चहेरा देखा है
मेरे खाव्बोमे भी सनम तेरे ही खयालो की रेखा है
तेरी यादो से ही सजा मेरी हर रात का गुलिस्ता
मेरी तनहाई का मोसम भी तेरी मुहोब्बत से महेका है ...
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कल रात बरसात की बुंदोने मुझे पूरी रात जलाया है
ऊपर से हरे ज़ख्मो पर तेरी यादो ने नमक लगाया है
अब तो आराम लगता है दिल को जब जलन होती है
तरी जुदाई में दिल को इस दर्द से बड़ा सुकून आया है...
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इन घटाओ को जाने क्या दुश्मनी है मुझसे
मेरी आँखों की तरह कभी भी बरस जाती है
मिन्नतो के बाद एक मुलाकात होती है तुमसे
और तेरी यादे बिन बुलाये मिलने चली आती है ...
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ये यादो की बदली छाती है सिर्फ मेरे आँगन में
के ये यादो की ये बारिश तेरा भी इम्तेहान लेती है
क्या अहेसास होता है तुम्हे भी कभी तड़पने का ?
के मुहोब्बत मेरे दिल को ही जलने की सजा देती है...
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जब जब आरजुए मेरी यादो की चुनरी बन लहेराती है
यु होठ पर आते आते हसी आँख के आँसु बन जाती है ...
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जुदा होकर भी जो दुआमें रहेता है उसी को यार कहेते है
चाहकर भी जिसे दिल भूल न पाये उसी को प्यार कहेते है
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हमें अश्को से भीगे नैनो से कभी शिकायत नहीं थी
पर तेरे प्यार को आंखोसे बहेने की भी तो आदत नहीं थी
जब से दामन में तू सिर्फ यादे छोड़कर गया था साथी
तब से दिल के दर्द को किसी भी मरहम से राहत नहीं थी
अब तो ये आलम है के...
न किसी आदत से शिकायत है
ना दिल को शिकायत की आदत है
खोज लिया है हर दर्द का इलाज दिलने
सिर्फ अश्को ही से राहत ही राहत है....
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चाहा है तुम्हे तो इश्क की हर रस्म का लुफ्त लेते है
तू नहीं होता पास मेरे तो तेरी यादो से तसल्ली कर लेते है
इस हसी चाँद को समजकर तेरे प्यार का नजराना
सब से छुपकर रातो को हम उसे आँखों से चुम लेते है ...
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शामकी तनहाईमें दिल को हरपल तेरी याद आती है
मेरे साथ यहाँ की हवाओ में तेरी खुशबु बस जाती है
बीते लम्हे याद कर के आँखोंकी सुरखी बढ़ जाती है
तेरी यादोकी सुरखी शाम को और सिंदूरी बनाती है
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रात भी थपकिया दे दे कर थक जाती है
मेरे हाल पर चाँद की भी आँख भर आती है
यु रूठकर ना लो मेरी मुहोब्बत का इम्तेहा
तेरी ये नाराजगी मेरी जान लिए जाती है 
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आपके रूठने की अदा चाँद से मिलती है शायद
इसलिए तो ये आसमा हमसे आँखे चुरा रहा है
रात की सियाही और काली लगती है तुम बिन
अब दिलका संभालना मुश्किल नजर आ रहा है 
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रिश्तो की नजाकत को तुम भी तो समजा करो
बार बार यु उसकी मजबूती ना आजमाया करो...
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 फुलोको हवाओ से डर लगता है के खुश्बू वो चुरा लेगी
हवाए डरती है के खुश्बू मोका मिलते ही निकल लेगी
जिसने जनम दिया जब उसकी बनके ना वो रहे पाई
तो हवाओने तो चुराई है खुश्बू वो साथ कहा तक देगी?
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हमारी यादमे तुम अश्क यु बहाया ना करो
हम बसते है जहा वहा बाढ़ यु लाया ना करो...
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वक्त की चाल होती है हादसे का नाम होता है
यु ही नहीं बदलते हालात तकदीर का काम होता है ...
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मिलन में ख़ुशी से बहेती है, तो जुदाईमें भी भरी रहेती है
मासूम जज्बातों के मोसम से हरवक्त घीरी हुई रहेती है
जरा सी बात पर रो देती है, आँखे तेरी बादल से मिलती है
बारिशो का मोसम तो नहीं फिरभी पलकों से बारिशे रहेती है ..
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बड़ी बेसब्री से कटते है लम्हे तेरे इंतजार के
घडी की सुई भी जैसे रुक रुक के चलती है ...
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जल्दबाजी जज्बातोमे नहीं करते है
फैसले दिल के सोच समजकर लेते है ...
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तुम्हे भुलाना वैसे लगता है मुश्किल तो नहीं, पर दिल भुलाना चाहता ही नहीं
कुछ ऐसे जख्म होते है जो ऊपर से भरते तो है पर अंदरसे दर्द जाता ही नहीं..
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जान न जाये जमाना चहेरे से तेरी जुदाई का गम
इसलिए दिल के दर्द को दिलमे ही छुपाते है हम ...
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तडपकर भी मुसकाना पड़ता है छुपाने को जमाने से गम
हमारी बेबसी तो देखो सनम के दिल के राजदार हो तुम ...
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सजन तुमने सावन से ये एक सबक तो सिखना था
जब भी पुकारे धरती, आसमा तुम्हे जी भर के बरसना था ...
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हम ये जानते है के तुम्हारे कुछ लगते हम नहीं
मेरी दुआमें बसे हो तुम, ये रिश्ता कुछ कम नहीं ...
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आँखे लाल है मेरी के तेरी यादोने सताया है रातभर
वैसे तो मरी आंखोमे हरदम हँसी की हरियाली छाई रहेती है...
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वैसे तो अपनी रफतार छोड़ आगे बढ़ता नहीं
फिर क्यों तेरे साथ होने से वक्त दौड़ जाता है?
वक्त यु तो किसीके लिए जरा भी रुकता नहीं
फिर जब तू जाता है वो लम्हा क्यों ठहर जाता है?
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कैसे बताये रात तेरी बाहोमे कितना सुकून आया हमको
सुबह जब आइना देखा नजर आया तेरा ही साया हमको...
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जब से देखा है तुम्हे दिलने तुम्हारे सिवा किसीका न सपना देखा
एक ही चहेरा नजर आया जब भी हमने ख्वाबो का आइना देखा
ज़माने में चारो और नकाब लगाये फिरते है जाने अनजाने चहेरे
इस रंग बदलती दुनियामे तुम्हे देखा तो लगा जैसे कोई अपना देखा
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कुछ धुंधली तस्वीरोने चौका दिया मुझे
कुछ आधे अधूरे ख्वाबने रुला दिया मुझे
मेरे ही ख्वाबमे आकर आँखे दिखा गए
अजीज़ था वो चहेरा जिसने रुसवा किया मुझे ....
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आँखों की गुस्ताखी न समज जो एकटक देखू तुजे
यु ही ख़ामोशी से अफसाने बया करना आदत है मेरी ..
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शहेरो की दुरी है तो सही पर दिलो के बीच फासले तो नहीं
अंजामेमुहोब्बत अच्छा ही होगा रहेते पास नहीं तो दूर ही सही...
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टुटा है आइना ख्वाबो का मेरी तक़दीर का नहीं
जोड़कर टूटे कांच ज़ख़्मी चहेरा नहीं देखना मुझे
होसला बुलंद है, पूरी तरह हम अभी बिखरे नहीं
टूटे टुकडो के सहारो पर खुद को नहीं छलना मुझे
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यादो के शहेरमें तेरे साथ घूमते रहे जब बरखाबहार आई
हमने छुपाके रखीथी सबसे वो हसीन कहानी याद आई...
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यु तो बेदाग चाँद बनाने की ख्वाहिश थी खुदा की
पर इतराना चाँद का हुश्न पर देख समज गए वो
यु चाँद में लगाकर दाग खुदाने उसका गुरुर तोडा है...
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कानो पर खुद की हसरतो का हेडफोन लगाकर मस्तीमे जूम रहे है वो
अपनी नाकाम हसरतो की दास्तान हम सुनाना चाहते है जिनको...
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तडपते है जबसे तेरी तस्वीर को आंखोमे बसाया है
हाल ये है के तुम्हे याद करके अब खुलके रो भी नहीं सकते...
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दिलमे उठते दर्दको अपने आगोशमें छुपा लेते है आंसू
गलती दिल की होती है और आँखों को सजा देते है आंसू..
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सुना है अंधेरे को हो चला है रोशनी से प्यार
बेवफाई करनेवाले खुद वफ़ा का पता ढूंढ़ते है...
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हर रिश्ते का नाम जरूरी नहीं होता मेरे दोस्त
कुछ बेनाम रिश्ते रुकी जिंदगी को सांस देते है...
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यु ही गुज़र जाते है मीठे लम्हे मुसाफिर की तरह
और यादे वही खड़ी रहे जाती है रुके रास्तो की तरह...
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चाहे तो खुदा से तुम्हे मांगना मुश्किल तो नहीं
पर अपने लिए कुछ भी मांगना हमें मंजूर नहीं ...
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तुम से बहेतर तो तेरी याद मेरा साथ निभाती है
मेरे तनहा होनेसे पहेले तेरी याद गले लग जाती है...
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मांगती है मुहोब्बत अब और कोन सा तोहफा हमसे
चैनोसुकून तो हसते हसते उन पर लुटादिया हमने...
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अब शिकायत भी क्या करे तुम से
तुम्हे कुछ भी कहेने को जी नहीं करता
थक गये है तुम्हारी मज़बूरी की दास्ता सुनते सुनते के
अब तो तुम से गिला करने को भी जी नहीं करता
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आजकल मेरे लब्जो पर भी सवाल उठाते है वो
मेरी ख़ामोशी सुनकर ख्वाहिशे पूरी करते थे जो...
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छोटी सी बात पर तुजसे रूठना अच्छा लगता है
के जब प्यार से तू मनाता है बड़ा अच्छा लगता है...
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जिसकी यादमे रोकर हमने आँखे सुजा ली
उसीकी आंखोने अजनबी बना दिया हमको ...
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आज भी पूछती है पता तन्हाई मेरा शामोसहर
के तेरी यादने कभी तनहा मुझे छोड़ा ही नहीं...
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मेरे अश्कोकी चांदनी रात का दामन भी जला गई
यही वजह है सुबह शबनम बिखर गई फूलो पर दाग लगा गई...
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वक्त का चलना अपने हिसाब से कभी होता नहीं
मानता है जो ये बात वो कभी नाकामी पर रोता नहीं...
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दर्द की दास्तान हम सुनाया करते थे जिनको
आजकल वो भी ताना देकर सताने लगे है हमको...
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बिना कोई शिकायत किये मेरी हर बात पर हसकर हामी भरते थे जो
मालूम न था मेरे साथ को पाने के लिये अपने आप से इतना लड़ते है वो...
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दिल के टूटने की शिकायत भी अब किससे करे
जो शिकायते सुनता था उसीने दिल को तोडा है...
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जिसके कांधे पर सर रखकर सोया करते थे
उसी जलिमने आजकल नींदे मेरी उडा रखी है...
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नाकामी पर रो कर नहीं जाया करेंगे जजबात अपने
ये वो ताकत है जो सर उठाकर जीने की वजह देती है...
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क्या शिकायत करे किसने रुसवा किया हमें
किसी अपनेके अजनबीपनने रुला दिया हमें...
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छुपा लेते है दर्द तो न सोचो के जखम असर नहीं करते
पर नुमाईश अपने जखम की हम जहामे किया नहीं करते...
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आसमानने आह भरी और धरती पर धुंध छा गई
कौन कहेता है जुदा है दोनो
जब आह एक की दुसरे की रूह हिला गई ...
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मुज से पुछती है तन्हाई हसके, क्यों इतना कोसती है मुझे
यादो के शहेरमें बसने को, मेरी ही तो जरूरत पड़ती है तुजे...
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चांदनी रातमें चुपके से मेरी नींद चुरा लेती है
यु रात मुझे तुज से बिछड़ने की सजा देती है ...
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आखो से सपनो को निकालने की कोशिशे यु बेकार न होती
रोकने से अगर रुक जाती यादे तो जिंदगी यु दुशवार न होती ...
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गिरता सितारा देख हाथ उठाये थे हमने तो उसे थामने के लिए
खुदाने नियत अच्छी देखी तो बिना मांगे ही दुआ कबुल हो गई..
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हक़ समजकर तुमसे किया करते थे जो, हमने वो सारी फरमाईशे छोड़ दी
 अब हकीकत के पेड़ पर बैठे सपनो के पंछीने, ऊँची उडाने भरनी छोड़ दी..
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थोडा रहने दो अभी हमारी मुहोब्बतका वहेम कायम
यु नजरे चुराकर जाते हो तो तुम बेगाने से बन जाते हो...
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हासिल करना पड़ता है रिश्ता ये सोगात यु ही नहीं मिलती
बाजारमे बाहे पसार लेने से मुहोब्बत की खेरात नहीं मिलती....
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रंजिश से ही सही तुमने कोशिश तो की हक़ जताने की
तेरी दुश्मनी से तेरी दोस्ती की खुशबु आती है अब भी ...
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जानते है हम, रिश्तेमे तुम्हारे लगते कुछ हम नहीं
पर मेरी हर दुआमे शामिल हो ये रिश्ता कुछ कम नहीं..
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बड़ा दर्द देता है जो रूह तक जखमी कर देता है
ये किसीका साथ होकर भी साथ नहीं होना
सहे लेते है जखम जब कोई पराया देता है
पर अपनों का परायापन बर्दाश्त नहीं होता ...
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मिलन का मजा आता कैसे अगर जुदाई नहीं होती
कौन सूरज को पूजता अगर रात काली नहीं होती....
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अपने नहीं वो सपने होते है जो बीचमे साथ छोड़ते है
हम तो वो है जो साथ देकर तक़दीर का रुख मोड़ते है ...
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उनके साथ की चाहतने हमें कई रातो से सोने नहीं दिया
जागती आंखो के सपने कैसे कहेर ढाते है हमसे पुछिये ...
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कभी डरी नहीं में मौत से आज तक
पर हा मरकर तुज से बिछड़ने का डर सताता है..
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कैसे रखु अपना भरम कायम के तू मुझसे जुदा नहीं
किससे कहु दिल की दास्ता जो तू ही मुझसे जुड़ा नहीं
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इतनी हसरत से न देखो मेरी तरफ,सिमटे हुए हम फिर से बिखर जायेंगे
सिले हुए सारे ज़खम खुल गये तो सिसकते घाव लेकर हम किधर जायेंगे....
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 रहते है हम काच के घरमे इसलिए पत्थर किसीके घर पर फेकते नहीं
वाकिफ है अपनी सारी कमजोरियों से इसलिए आइना देख ज़ेपते नहीं...
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हमसे न कर जिन्दगी इतना गिला फिज़ुलमे
हमने हरदम तेरे गमको हँसके गले लगाया है
तेरे अश्को के मोती आख़ से गिरे उससे पहेले
अपना दामन सामने फेलाया है...
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प्यार अगर सोच के किया जाता तो तेरी गली से भी हम ना गुजरते .
पर अबतो भटककर जहा पहोचे थे वही गली मंजिल बन गयी है ..
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तुम से दुरी अब नासूर बन रही है , दिल के जखम और हरे कर रही है
सुनाना तो चाहते है हाले दिल मगर ,बेडी शर्म की हमारे होठ सी रही है
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मुझे यादों के शहेर में रहेना मुश्किल लगता है क्योकि
वहा हर गली के मोड़ पर तेरी मूरत सजी हुई है...
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हमसे न उम्मीद रख तू तुम्हे मनाने की, .
पहेले हम खुद तो मानले के तू रूठा है हमसे...
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चुराकर नींदे मेरी जब तुम चैन से सो जाओगे
हम जलेंगे दिलकी आगसे तुम ख्वाबो से जल जाओगे...
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By Deepa Sevak.

વસંત...

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પંખીના ટહુકે દીધા વધામણા વસંતના આવવાના
સાંભળી ટહુકા વસંતના પાનખરના પગ થથરી ગયા...
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ટહુકા વસંતના એમ વેચાતા મળતા નથી
પાનખરને વળાવતા પરસેવો પડે છે ઝાડને...
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આજે ઉપવન ભલે વિરાન છે,અવશેષ આંખોમાં જોઇને લાગે છે
ક્યારેક મનના મોગરા મહેકાવવા પ્રેમની વસંત અહી આવી હતી...
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મારા એક ટહુકે ખીલી ઉઠશે તારા મનનું ઉપવન ,
તારા મનમાં મને વસંત બનાવી બોલાવી તો જો..

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By Deepa Sevak.

સથવારો...



તું જો સાથે હોય તો મારી સાથે હર ખુશહાલી છે
મને મંજીલની બહુ પડી નથી, આ સફર મને વહાલી છે...

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મારા હાથની મહેંદીમાં નામ તારું જ છુપાયું છે
અફસોસ તને ધીરજથી શોધતા ના આવડ્યું...
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સાથે તમે છો તો મને પાડવાનો ડર નથી
ખબર છે કે ઠોકર લાગતા પહેલા સંભાળી લેશો..
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મંજિલ નજર સામે હતી,અને તમે ગોથું ખાઈ ગયા
રસ્તો પૂછ્યો અનાડીને એટલે તમે અટવાઈ ગયા...
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આંખો કેમ કરી વરસે અંતરના મેહ સુકાઈ ગયા
તારી બેરુખીની આંધીમાં સ્નેહના વાદળ તણાઈ ગયા..
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આઇનામાં પ્રતિબિંબ ઝાંખું દેખાયું તો સમજાયું
કે આંખોમાં તારી યાદનું ઝાંકળ છવાયું છે....
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મને હવે એમ ના પુછ તું કે આંખો ભીની કેમ છે?
મારી જેમ વિરહમાં તડપીને જો સમજાઈ જશે...
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બે ડગલા ચાલી તમે પાછા કેમ પડ્યા?
સફરની શરૂઆત છે..મંજિલ હજુ બહુ દુર છે...
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સફર તમે શરુ તો કરો મંજિલ આપોઆપ મળી જશે
લક્ષ અગર નક્કી હશે તો રસ્તા આપોઆપ જડી જશે..
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સાથે મારી ચાલો તમે હમકદમ બનીને સનમ
કોઈ પણ રસ્તો મંજિલ આપોઆપ બની જશે....
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મુશ્કેલીનો ડર હતો જ્યા સુધી એકલી સફર હતી
હમસફર તું બન્યો પછી બધું આસાન લાગે છે..
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By Deepa Sevak.

તારી આસપાસ....

એવું નથી કે મને જીંદગીમાં કઇ ઓછું પડે છે ..
પણ.. તારા વગર જીવવુ જરા અઘરુ પડે છે..  
જયારે સંબધોના ઓકાયેલ કાર્બનડાયોક્સાઈડથી ગૂંગળાઉ છું ત્યારે 
તારી સાથે વહેચાયેલી ક્ષણો...
મારા જીવનમાં ઓક્સીજનનું કામ કરે છે...
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મારું એકાંત તારી આખે ટપક્યું ને
મને લાગ્યું કે દર્દ મારું વહેચાઈ ગયું...

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હૃદયના ઓરડે તારી યાદના અજવાળા છે ત્યારથી
મને એકલતાના રાક્ષસની બીક નથી લાગતી......
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ધડકનો વધી જાય છે મારી તને દુરથી આવતો જોઇને
દિલને ડર છે કે મારા હોઠોનું કંપન તને બધું કહી ના દે...
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સમયના પેટને ચીરી એક એવી ક્ષણ અવતરી
જ્યાં તારી મારી નજર મળી અને
રોમ રોમ મોગરા મહેકી ઉઠ્યા મુહોબ્બતના....
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મારા આંસુમાં પ્રતિબિંબ તારું દેખાયું
તો સમજાયું હજુ હૃદય ફક્ત તારા માટે જ ધડકે છે..

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નથી સમજાતું આ બળતરા શેની છે
તારા વગરના જીવનની કે મોતના ઈન્તેજારની...
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વિરહની આગ આંસુનો વરસાદ પણ બુઝાવી ના શક્યો
ચેતવણી આપી યાદે કે હવે બળ્યા વગર છુટકો નથી...
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મને નશો છે તારી ચાહતનો એટલે કદમ મારા ડગમગે છે
બાકી આમતો હું મક્કમ પગલે ચાલવા વાળો માણસ છુ...
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છુટકો નથી એટલે મને ચાહવાની કોશિશના કર
મારે ઉજ્જડ ગામનો એરંડો બનવું નથી...
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આ રાખમાંથી નામ તારું સંભળાય છે
લાગેછે કોઈ તારા જપ કરતા અહી બળ્યું હશે..
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તારી યાદ મારા દિલમાં એમ ચીપકી છે જેમ ચિન્ગમ વાળમાં
જેટલી અલગ કરવા પ્રયત્ન કરું એટલી વધારે ચોટે વાલમા...

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By Deepa Sevak

ગુલદસ્તો...

Art Image 382013
 
અચાનક અરમાન મારા હિલોળે ચઢ્યા
જયારે તારા આગમનની એધાણી મળી
તું અહી ક્યાંક આસપાસ જ છે સનમ
આ હવા હમણાં જ આવીને કાનમાં કહી ગઈ...
******
 
હું બોલવું અને તું આવે એતો કોઈ અચરજની વાત નથી
વાત નવી ત્યારે બને જો સંભારું મનમાં અને તું પહોચી જાય...
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તારી ખામોશી પણ બોલી ગઈ તારી આંખથી
રાઝ હૃદયના ખોલી ગઈ તું આંખથી
મનને મસ્તી આપે એવું અનોખું ઇજન દઈ ગઈ તું આંખથી

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મનના આકાશમાં સપનાના સતરંગી રંગ ભળ્યાને
હૃદયમાં લાગણીઓનું ઇન્દ્રધનુષ રચાઈ ગયું...

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વાયદાની વાવના પગથીયા છે ઘણા લપસણા
સહેજ સંતુલન ખોયું તો સમજો પડ્યા ઊંડા પાણીમાં...
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કેમ નજર હજુ એ રાહ પર ભટક્યા કરે ?
રાહ બદલી હતી તમે એ મોડ પર અટક્યા કરે ?...
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પરસેવાનું પાણી અવિરત નસીબના છોડને પાતી રહી
કદીક ફૂલ આવશે એમ કરી આશાઓના છોડ હું સીચતી રહી...

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 તું આગ બની રાખ મને કર
હું રાખ બની તારા ઘરના વાસણને અજવાળું
જયારે તું જમીશ એમાં
અમૃત બની પહોચીશ હું તારામાં
આમ કોઈક રીતે તો ભળીશ હું તારામાં...
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By Deepa Sevak.

ખાટીમીઠી વાતો...


તું જો સાથે હોય તો મારી સાથે હર ખુશહાલી છે
મને મંજીલની બહુ પડી નથી, આ સફર મને વહાલી છે...
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તારી આંખો ચાળી ખાય છે બાકી સાચું ક્યાં કહે છે તું?
રહું છું તારા દિલમાં પણ,જમાના સામે અવગણે છે તું...
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હૃદયમાં છુપાવી વેદના ખુદને નાહક ના તડપાવ તું ..
સ્નેહનો સાગર છે હૃદય મારું એક ડૂબકી તો લગાવ તું..
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દિલના રાજા માનું તમને મને ગુલામી પસંદ નથી
સદા સાચું કહો તમે મને જીહુજુરગી પસંદ નથી...
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મારી તમારી નજરનો જ બસ આ ફેર છે
હું શ્રધ્ધાથી પૂજું તમને અને તમને સાક્ષાત્કાર જોઈએ...
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હૃદયમાં લાગેલી આગ હું આંસુથી બુઝાવું છુ
મટે નહિ જો બળતરા તો મલમ તારા સપનાનો લગાવું છુ...
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By Deepa Sevak.

સંબંધ....

Art Image 365594
 
અસ્તિત્વ મારું ભેળવી તારામાં હું તારામય બનીને રહી
પણ તારી દુનિયામાં ડોકિયું કર્યું તો સમજાયું હવે હું ક્યાયની ના રહી....
 
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સાંકળો સંબધોની જે મારી આસપાસ તે બાંધી
હું તો એમાં ખુશ હતી કુવાના દેડકાની જેમ..
બંધન તો હવે લાગે છે જયારે ડોકિયું તારા દિલમાં કર્યું....
 By Deepa Sevak.
 

સપના...



હિંમત મારી ચાલતી નથી કે તમને હું બોલાવું
અને સપના તમારા.... આમંત્રણની રાહ પણ નથી જોતા...
 
 
Art Image 354792
 
મારી આંખોએ તારા સપના જોયા અને દાઝી ગઈ
હૃદયમાં કેટલી આગ ભરી તું આંખોમાં આવ્યો હતો...
 
Art Image 365593
 
 એક વાર ખબર તું પૂછી લે વેદના મારી મહેકી જશે
ઘાવ બધા સુકાઈ જશેને મારું મન સુગંધિત થઇ જશે...
 
By Deepa Sevak

તને શું ખબર....


 

તને શું ખબર અજાણે શું ગજબ તે કરી દીધો
દાઝેલું તો હતું હૃદય ઉપરથી ડામ તે દીધો

જયારે આંસુના સરવર ઢળ્યા,
ત્યારે જામ મેં તારે માટે ભર્યા
એ વિરહના આંસુનો જામ હતો
ખારું પાણી સમજી જે તે ઢોળી દીધો
મેં મોકલ્યો હતો કે તારી તરસ છીપાય કદાચ...

જયારે દર્દ મારા અસહ્ય બન્યા
તારા નામની કવિતાના ઢગલા કર્યા
કાગળ વાંચ્યા વગર જે તે ફાડી દીધો
એ મારા મોતનો પૈગામ હતો
જે મેં મોંત પહેલા લખ્યો હતો કે
આખરી વેળા મોં મેળાપ થાય કદાચ....

By Deepa Sevak

 

Sunday 20 January 2013

દિલ ની વાતો (2)


* તારી આંખોના સાગરમાં ડૂબકી લગાવીને જોયુ તો,
   મારું ખોવાયેલું સપનું ત્યાં મોતી બની સચવાયું હતું

ના રમીશ હવે આ આગ સાથે સનમ તું દાઝી જશે,
   આગનો દરિયો છે ઇશ્ક પાર કરતા તું થાકી જશે...

સનમ તારા સપના સજાવવાની સજા આ મળી છે 
  કે મારી આંખોને હવે ઊંઘની આદત પડી છે
  જાગીને રાતોમાં તને યાદ કરવું બહુ ગમે છે પણ શું કરું ?
  મનગમતી આ વાતને આ અણગમતી આદત નડી છે...

જયારે મધમીઠી લાગણી તારા હોઠે તું લાવે 
  મેઘધનુષી રંગ તારી આંખમાં ઉતર્યા એમ લાગે...

બે આંખ વચ્ચે કપાળ પર રોજ તારા હોવાની નિશાની લગાવું છું
  આમ કરીને સજન હું દર્પણને મારા હોવાની યાદ દેવડાવું છું...

નથી સમજાતી પીડા પ્રણયની જય સુધી ફરિયાદ યાદ નથી બનતી 
   મારા હોઠ પર હાસ્યને જોઇને છેતરાઈ ગયા એ, કહેતા ફરે છે બધાને કે હું તેમને યાદ નથી કરતી

મારું એકાંત તારી આખે ટપક્યું ને 
   મને લાગ્યું કે દર્દ મારું વહેચાઈ ગયું...

મારા એક ટહુકે ખીલી ઉઠશે તારા મનનું ઉપવન ,
   તારા મનમાં મને વસંત બનાવી બોલાવી તો જો..

આમ તો બધું બરાબર છે આસપાસ 
  બસ તારા વગરની સાંજમાં જરા એકલું વધારે લાગે છે...

જયારે દસ્તક દેતી રાત કાળી યાદ તારી પજવે મને 
   વિચારોની આવન જાવન ગળા સુધી થકવે મને...

ઉપવનમાં તારા ફૂલ બની હું કેમ કરી ખીલું? 
  પાનખરના દ્વારે હવે વસંત હું કેમ કરી ઝીલું ?..

કાજળનો પહેરો હવે આ આંખ પર ના લગાવ તું 
  તારી આંખોનો કૈદી હું, માંરા શ્વાસ રૂંધાઈ જાય છે .

આ કાજળઘેરા નયન ગજબ કરે છે મારા પર 
  ભર ઉનાળે મને વાદળા દેખાય આકાશ પર

તારી યાદના વાદળ કમોસમી વરસાદની જેમ ગમે ત્યારે વરસે છે 
   એના વરસ્યા પછી ભીતર મારું દુકાળની ભોમની જેમ તરસે છે...