तुम्हारी मर्जी के बगैर हम तुम्हारा दीदार कर नहीं सकते
सपने में भी हम तुमसे किये वादोंसे मुकर नहीं सकते
हम खुद जल जायेंगे तुम्हारी रोशनी के लिए
खाख होकर भी तुमसे रुसवाई कर नहीं सकते
नजाने क्या सोचकर मिले है दो तक़दीर के मारे
जीभी नहीं सकते जुदा होकर, और जुदाईमें मर भी नहीं सकते
कहेते हो खुदको बादल तो में जलकी धारा हु
साथ न होगा मेरा तो तुम भी बरस नहीं सकते
हमने तो पल्कोमे छुपा रखा है तुम्हे प्यारसे साथी
तुम्हे खोने के डरसे अब खुलके रो भी नहीं सकते
तुमने चाहातो लो छोड़ दिया हमने दस्तक देना दिल पर
तुम्हे चोट लगे कभी एसा हम हरगिज़ कर नहीं सकते
जब मिलना चाहो तो आवाज लगा देना हमको
एक तेरीही आवाज है जिसे हम अनसुना कर नहीं सकते
.....दीपा सेवक