Friday 12 October 2012

सावन


                                       


सावन से पुछा हमने क्यों बरस के हमको यु तरसा रहा ?
बरस मेरे पिया पर जो यु ही भरी बरसातमें प्यासा रहा ....

तुम्हे बादलसे बार बार लड़ते हुए देखा है मैंने 
बिजली से याद की डरते हुए देखा है मैंने 
 बरसकर तुम पर जब वो सितम करता है
तड़पकर तुम्हे जीते जी मरते हुए देखा है मैंने...

जब धिरते है बादल दिलमे हुक सी उठती होगी
दिलमें यादो की बिजली बड़ी जोरसे कड़कती  होगी 
यक़ीनन बुन्दोमे बारिश की एक आग बरसती होगी 
यही वजह है के बिरहन भीगकर भी यु जलती होगी

BY Deepa Sevak.. 

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